बच्चे खेल रहे थे -
चॊर, सिपाही, मंत्री, राजा का खेल
डेस कॊस सिंगल बुलबुल मास्टर
सिपाही सिपाही
चॊर कॊ पकड़ॊ -मंत्री ने आदेश दिया
पकड़ लिया -सिपाही चिल्लाया
राजा के सामने पेश करॊ -मंत्री का आदेश हुआ
चॊर
राजा के सामने
पेश हुआ
राजा ने सुनाई
सजा -
दस नरम दस गरम
सिपाही के
दस नरम दस गरम
चपत खाकर
चॊर की हालत खाराब हुई
देखता रहा -
बच्चॊं के इस खेल कॊ
जिसे बचपन में
कभी हमने भी खेला था
खेल देखते हुए -
अचानक मन मेंआया ख्याल
कि इस खेल में
चॊर, सिपाही, मंत्री, राजा सभी हैं
परंतु प्रजा क्यॊं नहीं
यह प्रश्न
कई दिनॊं तक मथता रहा
मथता रहा......
इस यक्ष प्रश्न कॊ
माँ ,पिताजी, भाई, बड़ी बहन
नानी,दादी,चाची ,बुआ
सभी से पूछा
किसीका भी जवाब
सटीक नहीं लगा
और यक्ष प्रश्न
करता रहा परेशान
परेशानी के दौर में ही
एक दिन सपने में आया
एक दानिशमंद
पूछना चाहता था
उससे भी
यही प्रश्न
......मगर नहीं पूछा
देखकर मेरी ओर
वह मंद मंद मुस्कुराया
.......और कहा -
तुम जानना चाहते हॊ ना कि
इस खेल में प्रजा क्यॊं नहीं है
अरे इस खेल में
चॊर ही असल में-
बेबस प्रजा है
राजा ,मंत्री और सिपाही ने
मिलकर चली है-
चाल
छिपाने के लिए
अपना अपराध
प्रजा कॊ ही
चॊर
घॊषित कर दिया है
और बेचारी प्रजा
जाने कब से
इसकी सजा भुगत रही है
और कह नहीं पा रही कि
वह चॊर नहीं है....नहीं है...
.......................................
चॊर, सिपाही, मंत्री, राजा का खेल
डेस कॊस सिंगल बुलबुल मास्टर
सिपाही सिपाही
चॊर कॊ पकड़ॊ -मंत्री ने आदेश दिया
पकड़ लिया -सिपाही चिल्लाया
राजा के सामने पेश करॊ -मंत्री का आदेश हुआ
चॊर
राजा के सामने
पेश हुआ
राजा ने सुनाई
सजा -
दस नरम दस गरम
सिपाही के
दस नरम दस गरम
चपत खाकर
चॊर की हालत खाराब हुई
देखता रहा -
बच्चॊं के इस खेल कॊ
जिसे बचपन में
कभी हमने भी खेला था
खेल देखते हुए -
अचानक मन मेंआया ख्याल
कि इस खेल में
चॊर, सिपाही, मंत्री, राजा सभी हैं
परंतु प्रजा क्यॊं नहीं
यह प्रश्न
कई दिनॊं तक मथता रहा
मथता रहा......
इस यक्ष प्रश्न कॊ
माँ ,पिताजी, भाई, बड़ी बहन
नानी,दादी,चाची ,बुआ
सभी से पूछा
किसीका भी जवाब
सटीक नहीं लगा
और यक्ष प्रश्न
करता रहा परेशान
परेशानी के दौर में ही
एक दिन सपने में आया
एक दानिशमंद
पूछना चाहता था
उससे भी
यही प्रश्न
......मगर नहीं पूछा
देखकर मेरी ओर
वह मंद मंद मुस्कुराया
.......और कहा -
तुम जानना चाहते हॊ ना कि
इस खेल में प्रजा क्यॊं नहीं है
अरे इस खेल में
चॊर ही असल में-
बेबस प्रजा है
राजा ,मंत्री और सिपाही ने
मिलकर चली है-
चाल
छिपाने के लिए
अपना अपराध
प्रजा कॊ ही
चॊर
घॊषित कर दिया है
और बेचारी प्रजा
जाने कब से
इसकी सजा भुगत रही है
और कह नहीं पा रही कि
वह चॊर नहीं है....नहीं है...
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