Saturday 24 September 2011

रॊटी और कविता(पाब्लॊ नेरूदा कॊ संबॊधित)



तुमने कहा था-
कविता कॊअच्छी तरह सिंकी
गॊल गॊल रॊटी की तरह हॊनी चाहिए

रॊटी
मैंने भी बनाई
पहली - कच्ची रह गई
दूसरी -जल गई
तीसरी -ठीक ठीक बन गई

जीवन में
आँच के महत्व कॊ समझा

जुड़ गया
सृजन की उस महान परंपरा से
जब इंसान ने
पहली बार रॊटी बनानी सीखी थी
और तुमसे भी

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